एक दिन की बात है। जब गणेश जी लडडू खा रहे थे। तब उन्हे एक राक्षस की अवाज सुनाई दी। वे उससे तुरंत य़ुध्द करने चल दिय़े।उन्होंने उससे बहुत युध्द किया । राक्षस ने अपनी शकि्त चलाई । तब गणेश जी की हल्की फुल्की ही शकि्त काम कर रही थी तब गणेश जी ने अपनी शकि्त चलाई। तुरंत राक्षस वीरगती को प्राप्त हो गया । तब गणेश जी ने अपनी सवारी चूहा पर बैठ कर कैलाश पर्वत पर चल दिये । तब उन्होंने पुरी बात माता पिता भाई को बता दी ।